नमस्कार दोस्तों! मैं हूँ सुरेंद्र और आज ‘Vasudha’ का एपिसोड देखकर सच कहूँ तो कलेजा मुंह को आ गया। एक मां के सामने उसका बेटा जब दो कौड़ी की नौकरी के लिए हाथ फैलाता है, तो वो दर्द सिर्फ पर्दे पर नहीं, दर्शकों के दिल में भी उतरता है। आज देव ने जो किया, उसने साबित कर दिया कि शेर चाहे पिंजरे में हो, पर अपनी गरिमा (Dignity) नहीं भूलता। चलिए, विस्तार से बात करते हैं आज की इस धमाकेदार कहानी पर।
Quick Highlights: आज के एपिसोड में क्या हुआ?
| Point | Details |
| Main Drama | देव चौहान हाउस में डिलीवरी देने पहुंचा, जहां सारिका ने उसे बुरी तरह जलील किया। |
| Chandrika का गुस्सा | मीटिंग खराब होने पर चंद्रिका सारिका पर भड़की, लेकिन देव की हालत देख अंदर से टूट गई। |
| Dev का फैसला | मैनेजर की बदतमीजी और सारिका की साजिश के बाद देव ने डिलीवरी बॉय की नौकरी छोड़ दी। |
| Vasudha का साथ | वसुधा ने अपने पिता हनुमंत के खिलाफ जाकर देव के आत्मसम्मान का समर्थन किया। |
| Suspense Twist | छोटी स्वीटू मुसीबत में फंसी; अविनाश की बढ़ी मुश्किलें। |
Chauhan House में तमाशा: जब देव बना ‘डिलीवरी बॉय’
कहानी की शुरुआत चौहान हाउस के अंदर एक हाई-प्रोफाइल बिजनेस मीटिंग से होती है। सब कुछ ठीक चल रहा था कि तभी देव एक डिलीवरी एग्जीक्यूटिव के रूप में चुपचाप एंट्री लेता है। उसके चेहरे पर जो असहजता (Discomfort) थी, उसे देखकर कोई भी भावुक हो जाए। देव सारिका से पेमेंट मांगता है, लेकिन सारिका तो जैसे इसी पल का इंतजार कर रही थी। उसने जानबूझकर पैसे देने से मना कर दिया ताकि तमाशा बड़ा हो सके।
जैसे ही मीटिंग खत्म हुई, चंद्रिका का गुस्सा ज्वालामुखी की तरह फट पड़ा। मेहमानों के जाते ही उसने सारिका की क्लास लगा दी कि आखिर उसने देव को अंदर आने ही क्यों दिया? सारिका ने यहां अपना असली ‘विलेन’ वाला चेहरा दिखाया और झूठ बोल दिया कि देव तो अब रोज टिप के लालच में इस घर के चक्कर काटता है। चंद्रिका परेशान तो थी, पर उसने तुरंत पैसे चुकाने का आदेश दिया।
बेइज्जती की हद और सारिका की घटिया चाल
सारिका ने यहां जो किया, वो किसी के भी खून को खौला दे। उसने सीधे देव को पैसे देने के बजाय वसुधा को नौकरानी की तरह बुलाया और कहा कि ये ‘छिल्लर’ (Change) उस डिलीवरी बॉय को दे दे और कहना कि ‘टिप’ समझकर रख ले। वसुधा की आंखों में जो दर्द था, वो साफ बयां कर रहा था कि उसे अपने पति को इस हाल में देखकर कितना बुरा लग रहा है। प्रभात ने बीच-बचाव किया और देव को हिम्मत दी कि ‘वक्त हमेशा बदलता है।’
देव का बड़ा धमाका: “मैं नौकरी छोड़ रहा हूँ!”
अगली सुबह देव के वर्कप्लेस पर ड्रामा और बढ़ गया। मैनेजर ने जानबूझकर देव को फिर से चौहान हाउस की डिलीवरी थमा दी। जब देव ने मना किया, तो मैनेजर ने घमंड में कहा कि ‘चौहान फैमिली ने खुद डिमांड की है कि तुम ही डिलीवरी लाओ।’ बस, यहीं देव के सब्र का बांध टूट गया। उसने अपनी यूनिफॉर्म फेंक दी और साफ कह दिया कि वो अब इस मैनेजर का गुलाम नहीं है। देव का यह स्वाभिमान वाला रूप देखकर वाकई मजा आ गया!
हनुमंत का गुस्सा और स्वीटू का सस्पेंस
जब देव खाली हाथ घर लौटा, तो हनुमंत (वसुधा के पिता) ने उस पर बम फोड़ दिया। उसने देव को खूब खरी-खोटी सुनाई कि अब वो वसुधा का पेट कैसे पालेगा? लेकिन इस बार वसुधा चुप नहीं रही। उसने अपने पिता को करारा जवाब देते हुए कहा कि ‘पैसे से ज्यादा इज्जत की कीमत होती है’ और वो हर हाल में अपने पति के साथ खड़ी रहेगी।
दूसरी तरफ, एक डरावना मोड़ तब आया जब छोटी स्वीटू का अविनाश को फोन आया। वो बेचारी अकेली सड़क पर भटक रही है और कुछ अनजान लोग उसका पीछा कर रहे हैं। अविनाश उसे बचाने के लिए पागलों की तरह भागा है।
Surendra’s View: क्या रही मेरी राय?
आज के एपिसोड की राइटिंग वाकई कड़क थी। TRP के लिहाज से देखें तो देव का नौकरी छोड़ना और वसुधा का स्टैंड लेना शो को नई ऊंचाई पर ले जाएगा। दर्शकों को हमेशा से वो ‘हीरो’ पसंद आता है जो गरीबी में भी अपना सर ऊंचा रखे। सारिका का किरदार अब धीरे-धीरे ‘सनकी’ होता जा रहा है, जो कहानी में मसाला बढ़ा रहा है।
मेरे हिसाब से, आने वाले दिनों में चंद्रिका का दिल पिघलते हुए दिखाया जा सकता है, क्योंकि आज उसकी आंखों में देव के लिए छिपा हुआ प्यार और गिल्ट दोनों नजर आए। स्वीटू वाला ट्रैक कहानी में एक नई मिस्ट्री जोड़ रहा है जो इसे सिर्फ एक फैमिली ड्रामा से ऊपर ले जाएगा।
क्या देव को कोई नई और बेहतर नौकरी मिलेगी? या सारिका उसकी राह में फिर कोई कांटा बोएगी? जानने के लिए जुड़े रहिए!
